भाषा और साहित्य विभाग – भारतीय ज्ञान प्रणाली सेंटर अलायंस विश्वविद्यालय, एवं
भारतीय हिन्दी प्राध्यापक परिषद, गुजरात के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित

अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

सहयोग : कर्नाटक राज्य विश्वविद्यालय कॉलेज हिन्दी प्राध्यापक संघ, बंगलोर

विषय : भारतीय ज्ञान परंपरा एवं भाषा शिक्षण : चुनौतियाँ और संभावनाएं

03 – 04 फरवरी, 2024

संगोष्ठी उद्देश्य : : भारतीय ज्ञान परंपरा भारत की बहुमुखी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत की अधिष्ठाता है। भारत की प्राचीन सभ्यता बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और लोक कलाओं, सांस्कृतिक परंपराओं और वेदों, पुराणों और पंचतंत्र में समृद्ध है। भारत ने दुनिया को महान ऋषि, दार्शनिक, गणितज्ञ, वैज्ञानिक, शोधकर्ता और समाज सुधारक दिए हैं, जिनका इतिहास पर स्थायी प्रभाव पड़ा है, लेकिन मुगल और ब्रिटिश औपनिवेशिक शताब्दियों जैसे विदेशी प्रभुत्व के समय में इसे जाने – अनजाने उपेक्षित और अनदेखा कर दिया गया । आज सर्वत्र अपनी ज्ञान परंपरा को लेकर एक जागरूकता, जिज्ञासा और उत्साह पूरे देश भर के लोगों में दिख रहा है । सामाजिक एवं व्यावसायिक सारस्वत अनुसंधान की प्रविधि वर्तमान समय में विशेष महत्व रखती है । भारतीय साहित्य, भारतीय लोक संस्कृति और भाषा में ऐसे बहुत से अति उपयोगी निधि हैं जिन पर अभी बहुत कुछ कार्य करना बाकी है । इस संगोष्ठी के माध्यम से उन गूढ विषयों पर देश भर के स्थापित और प्रतिष्ठित साहित्यकार विचार विमर्श करेंगे । इस चर्चा - परिचर्चा से अवश्य ही अनेक उपयोगी निष्कर्ष सामने आएंगे जिसके माध्यम से शोध, शिक्षा और चिंतन – मनन हेतु कई आयाम पर व्यापक कार्य के मार्ग का अन्वेषन हो सकेगा । इन्हीं विशेष संदर्भों व मुद्दों को ध्यान में रखते हुये भाषा और साहित्य विभाग – भारतीय ज्ञान प्रणाली सेंटर अलायंस विश्वविद्यालय, बंगलूरू एवं भारतीय हिन्दी प्राध्यापक परिषद, गुजरात के संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 03 – 04 फरवरी, 2024 को “भारतीय ज्ञान परंपरा एवं भाषा शिक्षण : चुनौतियाँ और संभावनाएं” विषय पर किया जा रहा है । इस आयोजन के विचार - विमर्श से शिक्षाविद,साहित्य प्रेमी, शोधार्थी और विद्यार्थी अवश्य लाभान्वित होंगे – ऐसा हमारा विश्वास है ।

संगोष्ठी का महत्व : इस दो दिवसीय अंतःविषय संगोष्ठी के माध्यम से, विज्ञान, व्यवसाय, गणित, कानून कोड और भाषा और कला में अंतर्निहित वैज्ञानिक कारण, तार्किक क्षमता, अनुसंधान संभावनाओं के नए आयाम विकसित किए जाएंगे । इससे छात्र, शोधकर्ता और बुद्धिजीवी निश्चित रूप से भारतीय ज्ञान प्रणाली के माध्यम से बहुत कुछ नया सीख सकेंगे और अपने ज्ञान का विस्तार कर सकेंगे । इसका मुख्य उद्देश्य है - शिक्षाविदों और विशेषज्ञों को सर्वांगीण स्तर पर एक मंच पर लाना, उनके ज्ञान, विचारों, शोध के नए आयामों से परिचित होना और शिक्षा और अनुसंधान में नवाचार का संचार करना, उन माध्यमों से परिचित होना जो वैश्विक मंच पर भारतीय विरासत को स्थापित करने और चुनौतियों का समाधान खोजने के साधन होंगे । संगोष्ठी में आमंत्रित विद्वानों का गहन विश्लेषण और वैचारिक अभिव्यक्ति शैक्षणिक/अनुसंधान संस्थानों के प्रतिभागियों के ज्ञान को अद्यतन करेगी । भारतीय संस्कृति सदैव साहित्यिक, व्यावसायिक, धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाओं से प्रेरित रही है । आज के समय की आवश्यकताओं के अनुसार भौतिक संसाधन और प्रगति आवश्यक है, लेकिन हमारी विरासत और उसके निरंतर विकास और समृद्धि को संरक्षित करने से ही हमारे समाज का विकास संभव है ।

आवश्यक पहलू : पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली को जोड़ने पर चर्चा । भारत की सांस्कृतिक विरासत को नवाचार और प्रौद्योगिकी के साथ मिलाकर कैसे उसका व्यवसायीकरण किया जा सकता है, आमंत्रित विद्वानों द्वारा इसकी जानकारी प्राप्त करना । पाठ्यक्रम के लिए सामग्री तैयार करने में भारत के हर राज्य के विद्वानों के साथ बातचीत करना और बहुभाषी सामग्री की तैयारी पर चर्चा करना । अंग्रेजी भाषा के कारण जो छात्र व्यवसाय, प्रौद्योगिकी आदि के बोझ तले दबे हुए हैं और अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिली है, उनके सामने एक नया मंच है जो उनके आत्मविश्वास को बनाए रखने और एक नई दिशा देने में कारगर होगा । पाठकों को एक ऐसी पुस्तक देना जिसमें विद्वानों के विचार के माध्यम से किसी नए विषय पर नई जानकारी मिल सके । शोध छात्रों के लिए नए विषय और क्षेत्र प्रदान करना ।

पंजीयन : सभी प्रतिभागियों को पंजीकरण करना आवश्यक है । इसके लिये प्रतिभागी पंजीयन प्रपत्र को पूर्ण रूप से भरकर प्रेषित करें अथवा संगोष्ठी स्थल पर पर भी पंजीकरण करा सकते हैं । प्रतिभागी अपने शोध पत्र का सारांश तथा पूर्ण शोध पत्र का सॉफ्ट कॉपी दिये गए ईमेल पते पर प्रेषित करें । शोध पत्र का सारांश लगभग 200 से 300 शब्दों में तथा शोध पत्र अधिकतम 5000 शब्दों में 30 जनवरी 2024 तक bhindipp@gmail.com ईमेल पते पर यूनिकोड, मंगल फॉन्ट, साइज़ 14 में भेजने की कृपा करें ।

आमंत्रित अतिथि

Dr. Manish Joshi
मुख्य अतिथि

डॉ. मनीष जोशी

सचिव यू.जी.सी.

Prof. Tatyana Oranskya
अंतरराष्ट्रीय

प्रो. तात्याना ओरांस्क्या

हैम्बर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी

Prof. Heinz Werner Wessler
अंतरराष्ट्रीय

प्रो. हेंज वर्नर वेस्लर

उप्साला विश्वविद्यालय, स्वीडन

Prof. Elmar Josef Renner
अंतरराष्ट्रीय

प्रो. एल्मर जोसेफ़ रेनर

कोपेनहेगन विश्वविद्यालय

Prof. Vivek Mani Tripathi
अंतरराष्ट्रीय

प्रो. विवेक मणि त्रिपाठी

कुआंगडोंग यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज, चीन

Prof. Vinod Kumar Mishr
राष्ट्रीय

प्रो. विनोद कुमार मिश्र

त्रिपुरा विश्वविद्यालय, अगरतला

Prof. Sanjeev Kumar Dubey
राष्ट्रीय

प्रो. संजीव कुमार दुबे

केंद्रीय विश्वविद्यालय, गुजरात

Prof. Shambhunath Tiwari
राष्ट्रीय

प्रो. शंभूनाथ तिवारी

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय

Prof. Gajendr Pathak
राष्ट्रीय

प्रो. गजेंद्र पाठक

केंद्रीय विश्वविद्यालय, हैदराबाद

Prof. Ashish Tripathi
राष्ट्रीय

प्रो. आशीष त्रिपाठी

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

Dr. Rajesh Shrivastav
राष्ट्रीय

डॉ. राजेश श्रीवास्तव

निदेशक - रामायण केंद्र, भोपाल

Prof. Bahadur Singh Paramar
राष्ट्रीय

प्रो. बहादुर सिंह परमार

उच्च शिक्षा विभाग, मध्य प्रदेश

Prof. Pramod Kovvaprath
राष्ट्रीय

प्रो. प्रमोद कोव्वप्रथ

कालीकट विश्वविद्यालय

Dr. S. A. Manjunath
राष्ट्रीय

डॉ. एस. ए. मंजूनाथ

अध्यक्ष - के.आर.वी.सी.एच.पी. संघ

Prof. S. R. Jay Shree
राष्ट्रीय

प्रो. एस. आर. जय श्री

केरल विश्वविद्यालय

Prof. Vandana Jha
राष्ट्रीय

प्रो.वंदना झा

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

Prof. T. J. Rekha Rani
राष्ट्रीय

प्रो. टी. जे. रेखा रानी

ई एफ एल यू हैदराबाद

Prof. Gurameet Singh
राष्ट्रीय

प्रो. गुरमीत सिंह

पंजाब विश्वविद्यालय

Dr. Vinay Yadav
राष्ट्रीय

डॉ. विनय यादव

बिशप कॉटन महिला क्रिश्चियन कॉलेज

Prof. Prabhakar Singh
राष्ट्रीय

प्रो. प्रभाकर सिंह

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

लेख व शोध पत्र जमा करने की शर्तें व नियम

  • पेपर का एक सार 30 जनवरी, 2024  को या उससे पहले प्रस्तुत किया जाना चाहिए। सार की लंबाई 300 शब्दों से कम होनी चाहिए।
  • अधिकतम एक लेखक को सह-लेखन की अनुमति है। हालाँकि, दोनों लेखकों को अलग-अलग पंजीकरण करने की आवश्यकता है। सह-लेखन के मामले में, पेपर प्रस्तुत करने के लिए कम से कम एक लेखक को संगोष्ठी में भाग लेना चाहिए। कोई प्रॉक्सी प्रस्तुतियों की अनुमति नहीं है। लेखक और सह-लेखक दोनों को अलग-अलग भुगतान करने की आवश्यकता है।
  • अधिकतम लंबाई: शीर्षक/कवर पेज और संदर्भ सहित 5000 शब्द।
  • मार्जिन: 1" सभी तरफ
  • रेगुलर फॉन्ट: टाइम्स न्यू रोमन, 12 पॉइंट, लाइन स्पेसिंग 1.5 जस्टिफाइड।
  • टाइटल फॉन्ट: टाइम्स न्यू रोमन, 14 पॉइंट्स, बोल्ड, लाइन स्पेसिंग 1.5
  • फ़ुटनोट: टाइम्स न्यू रोमन, 1.0 की रिक्ति के साथ फ़ॉन्ट आकार 10
  • उद्धरण: एमएलए स्टाइल 9वां संस्करण।
  • लेख मूल होना चाहिए और कहीं और प्रकाशन के लिए प्रस्तुत नहीं किया गया हो । लेख के साथ यह घोषणापत्र भेजना अनिवार्य है कि यह कार्य स्वयं का है और साहित्यिक चोरी की नहीं है।

सार और अंतिम शोध पत्र bhindipp@gmail.com ईमेल पर भेजे । चयनित शोध पत्र पीयर-रिव्यू जर्नल में प्रकाशित किए जाएंगे।

संयोजक

Pro. Sanjeev Kumar Dubey
राष्ट्रीय संयोजक

प्रो. संजीव कुमार दुबे

केंद्रीय विश्वविद्यालय गुजरात

Dr. S. A. Manjunath
प्रांतीय संयोजक

डॉ. एस. ए. मंजूनाथ

अध्यक्ष - के.आर.वी.सी.एच.पी. संघ, बंगलोर

Dr. Anupama Tiwari
स्थानीय संयोजक

डॉ. अनुपमा तिवारी

अलायंस विश्वविद्यालय, बंगलोर

संपर्क सूत्र

भाषा और साहित्य विभाग, अलायंस विश्वविद्यालय
चिक्काहागड़े क्रॉस, चन्दापुरा - आनेकल मेन रोड, आनेकल, बेंगलुरु - 562 106, कर्नाटक, भारत। दिशा-मानचित्र प्राप्त करें

दूरभाष संख्या:

+91 88869 95593,+91 99009 04821

ई-मेल:

bhindipp@gmail.com